विश्वविद्यालय के बारे में :: अवलोकन

मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मानू) 1998 में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित केन्द्रीय विश्वविद्यालय को उर्दू भाषा के प्रचार तथा विकास करने और उर्दू के माध्यम से पारंपरिक और दूरस्थ माॅड से व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा दिलाना। विश्वविद्यालय का मुख्यालय एक उत्कृष्ट केन्द्रीय स्थान गच्चीबौली, हैदराबाद में स्थित है जो 200 एकड़ में फैला है। भारत भर से विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को चुना गया और वे ज्ञान के सभी विषयों में गुणवत्तापूर्ण उर्दू शिक्षा के प्रति उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता के कारण आकर्षित हुए।

विश्वविद्यालय के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  1. उर्दू भाषा के प्रचार एवं विकास
  2. उर्दू माध्यम से पारंपरिक एवं दूरस्थ दोनों पद्धति से तकनीकी, व्यवसायिक एवं उच्च शिक्षा प्रदान करना
  3. इच्छुक लोग जो कैम्पस व दूरस्थ माॅड के माध्यम से उर्दू माध्यम में उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं उनलोगों तक अपनी व्यापक पहुँच प्रदान करना
  4. महिला शिक्षा पर जोर देना

आज विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षा की उच्च स्थिति छः ज्ञानार्जन के स्कूलों के कारण हैं तथा (1) भाषा, भाषा-विज्ञान और भारतीय-विद्या स्कूल (2) व्यवसाय एवं प्रबंधन स्कूल (3) शिक्षा एवं प्रशिक्षण स्कूल (4) पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल (5) कला एवं सामाजिक विज्ञान का स्कूल (6) स्कूल आॅफ साइंसेस। इन छः स्कूलों के 13 विभाग हैं जो इसके साथ-साथ प्रस्तावित स्नातकोत्तर कार्यक्रम एम.फिल एवं पी’ एच डी स्तर के शोध कार्यक्रम चला रहे हैं। इन स्कूलों से पहले ही काफी संख्या में एम.फिल शोधार्थियों का मंथन किया है। इन सभी स्कूलों का ध्यान ज्ञान के नए क्षेत्रों की खोज करने के लिए और अग्रिम ज्ञान को प्राप्त कर अनुसंधान और आवेदन के माध्यम से प्राप्त करने पर केन्द्रित है।

  1. भाषा, भाषा विज्ञान एवं भारतीय शास्त्र स्कूल
  2. प्रबंधन एवं वाणिज्य स्कूल
  3. शिक्षा एवं प्रशिक्षण स्कूल
  4. जनसंचार एवं पत्रकारिता स्कूल
  5. कला एवं समाज विज्ञान स्कूल
  6. विज्ञान स्कूल

विश्वविद्यालय ने तीन औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) की स्थापना की और क्रमशः तीन पाॅलिटेक्निक काॅलेज हैदराबाद, बंगलूरू और दरभंगा में स्थापित किए। विश्वविद्यालय ने आई.टी.आई और पाॅलिटेक्निक में प्रस्तावित सभी विषयों एवं तकनीकी विषयों को उर्दू के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य को पूरा किया गया।

इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय ने क्रमशः श्रीनगर, दरभंगा, भोपाल में तीन शिक्षक प्रशिक्षण काॅलेजों की स्थापना की जहाँ पर शिक्षकों के व्यक्तिगत और बौद्धिक विकास को महसूस करते हुए विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को चलाया गया।

युवा पीढ़ी में उर्दू के प्रति जुनून भरे जाने और उर्दू भाषा के सीमित दायरे का विस्तार कर विश्वविद्यालय ने सच में अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है; और विश्वविद्यालय ने शिक्षा में गुणवत्ता प्रदान करने के लिए माॅडल स्कूलों की स्थापना भी की है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मंजूरी से विश्वविद्यालय परिसर में जनवरी 2007 में यूजीसी - अकादमिक स्टाफ काॅलेज की स्थापना की गई। काॅलेज की तरफ से अभिविन्यास और पुनश्चर्या तथा व्यावसायिक विकास कार्यक्रम चलाए जाते हैं तथा अन्य विभिन्न शैक्षणिक कार्यकलापों का भी कार्यक्रम चलता रहता है। विश्वविद्यालय में एक परिपूर्ण अनुदेशक मीडिया केन्द्र (IMC) है। आईएमसी श्रव्य और दृश्य कार्यक्रमों पर आधारित पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने एवं छात्रों की ज़रूरत पूरी करने में लगी है जो मानू से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वृत्त कार्यक्रम जो विशाल जनता तक प्रसारण के माध्यम से पहुँचाया जा रहा है इस प्रयोजन के लिए, विश्वविद्यालय ने दूरदर्शन तथा प्रसार भारती के साथ समझौता ज्ञापन किया है ताकि मानू के कार्यक्रमों का निरंतर प्रसारण डी.डी. उर्दू चैनल पर होता रहे। दूरदर्शन के उर्दू चैनल पर विश्वविद्यालय के शैक्षिक कार्यक्रम 1 जनवरी 2010 के बाद से प्रतिदिन प्रसारित किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय ने हैदराबाद के बाहर लखनऊ शहर में अपने पहले परिसर की स्थापना की। शैक्षिक वर्ष 2009-2010 से लखनऊ परिसर में उर्दू, अरबी, फारसी और अंग्रेजी में स्नातकोत्तर (एम.ए.) कार्यक्रम चलाया जा रहा है।