विश्वविद्यालय के विषय में :: प्रथम कुलपति (प्रो. मोहम्मद शमीम जयराजपुरी )

प्रो. एम. शमीम जयराजपुरी ( प्रथम कुलपति :: 09 जनवरी 1998 - 08 जनवरी 2003)
मोहम्मद शमीम जयराजपुरी का जन्म 08 अप्रैल 1942 को गाँव जयराजपुर, जिला आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ । 28 वर्ष की आयु में सूत्रकृमिविज्ञान पर उत्कृष्ट कार्य के लिए 1970 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्राणिविज्ञान में डॉक्टर ऑफ साइंस (डी.एस सी) से सम्मानित किया गया। वे पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में लाइफ साइंसेज संकाय के प्राणिविज्ञान विभाग में पहले प्राध्यापक  (1964) बाद में रीडर (1972), प्रोफेसर(1983), विभागाध्यक्ष, प्राणी विज्ञान विभाग (1988-89 और 1997-98), और संकायाध्यक्ष (1993-95 और 1997-98)  जीवन विज्ञान संकाय , अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ।

भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण के द्वारा प्रो. जयराजपुरी को उनके पौधों और मिट्टी में नेमाटोड पर किए गए अग्रणी शोध कार्य के लिए 1997 और  1998 में स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इस विषय पर कार्य करने  के फलस्वरूप वे विश्व भर में विख्यात हुए।  आपकी 20 पुस्तकें और मोनोग्राम , 350 शोध पत्र और अनेक  पुस्तक के अध्याय और सामान्य लेखों को विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित कर अपना योगदान दिया । इन्होंने विस्तृत रूप से भारत के भीतर और विदेश भ्रमण ( यू.एस.ए., यू.के., जर्मनी, द नीदरलैंड, बेल्जियम, इटली, ऑस्ट्रेलिया, स्विजरलैंड, कनाडा, दक्षिण कोरिया, मिस्त्र, पाकिस्तान, बांग्लादेश) में अपने वैज्ञानिक काम-काज के लिए व्यापक रूप से यात्रा की और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, संगोष्ठियों, परिचर्चा, कार्यशालाओं इत्यादि का उद्घाटन और अध्यक्षता की। प्रो. जयराजपुरी विश्व  की कई ज्ञानार्जन संस्थाओं ( एफ एन ए, एफ ए एससी, एफ एन ए एससी, एफ ए ए एस, एफ आई एस पी, एफ ज़ेड एस आई, एफ ज़ेड एस, एफ आई बी ओ एल ., आदि) में अध्येता हैं। ये भारतीय सूत्रकृमि सोसाइटी के अध्यक्ष (1979-81) और मुख्य संपादक भारतीय सूत्रकृमिविज्ञान पत्रिका (1977-79), प्राणी सोसाइटी के उपाध्यक्ष (1989-91) और भारतीय हेलमिन्थोलोजिकल सोसाइटी के सचिव (1978-81) के पद पर कार्यरत रहे। आपने 28 पी.एचडी और 28 एम.फिल डिग्री छात्रों का मार्गदर्शन किया है।

आप वर्ष 1981-83 तक राष्ट्रमंडल कृषि ब्यूरो इंटरनेशनल, ब्रिटेन के प्रधान सूत्रकृमिज्ञ रहे हैं। आपने वन पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय प्राणी-विज्ञान से संबंधित सभी मामलों के लिए भारत सरकार के सलाहकार रहें ।

प्रो. जयराजपुरी को वर्ष 1991 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कृषि केन्द्र का संयोजक नियुक्त किया गया और वे 1993 में कृषि संस्थान के संस्थापक निदेशक बने। वह जीवन विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष और साथ ही प्राणी विज्ञान, म्यूज़ीओलॉजी और वन्य जीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष थे । प्रो. जयराजपुरी भारत सरकार की कई उच्च स्तरीय समितियों के सदस्य हैं। प्रो. जयराजपुरी को 9 जनवरी 1998 में नूतन स्थापित मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मानू) , हैदराबाद का संस्थापक कुलपति नियुक्त किया गया । साथ ही, हैदराबाद विश्वविद्यालय के जीवन विज्ञान विद्यापीठ में मानद प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए।

दिसंबर1999 में, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा जानकी अमल राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले प्रथम व्यक्ति थे जिन्होने सूत्रकृमिविज्ञान  के वर्गीकरण के क्षेत्र में कार्य किया। तीसरी विश्व विज्ञान अकादमी, ट्राइस्टे,इटली द्वारा मार्च 2000 में प्रो.एम.शमीम जयराजपुरी को अध्येता चुना गया । इसी वर्ष  वह भारतीय परजीवी-विज्ञान सोसाइटी  के अध्यक्ष  के रूप में चुने गए। प्रो. जयराजपुरी को जून 2007 में इंडिया इंटरनेशनल फ्रेन्ड्शिप सोसाइटी, नई दिल्ली (IIFC) द्वारा 'शिक्षा रत्न पुरस्कार साथ ही उत्कृष्टता का प्रमाण पत्र ' के लिए चुना गया। प्रो. जयराजपुरी को 12 मार्च 2009 में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की हाई पावर अपील समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एम. शमीम जयराजपुरी को वर्ष 2009 में अल अमीन शैक्षणिक सोसाइटी, बेंगलूरू (कर्नाटक) ने अपने प्रतिष्ठित अल अमीन अखिल भारतीय सामुदायिक नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया। प्रो. जयराजपुरी पर 03 मार्च 2012 से मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी डी.लीट(मानद)  उपाधि प्रदत्त की जा रही हैं। 

 

वर्तमान कुलपति

पूर्व कुलपति:


Blue ThemeRed ThemeGreen Theme